राही की अंतिम अभिलाषा...! राही की अंतिम अभिलाषा...!
वो आखिरी साँसें जिंदगी की पेहली लगने लगती है। वो आखिरी साँसें जिंदगी की पेहली लगने लगती है।
है चाँद छूने की तमन्ना तो ख़्वाब देखिए... है चाँद छूने की तमन्ना तो ख़्वाब देखिए...
अर्पण हो जाऊं मालाओं में ऐसे प्रभात की पुष्प बनूं।। अर्पण हो जाऊं मालाओं में ऐसे प्रभात की पुष्प बनूं।।
सपनों को अपनी आंखों में ही सुला कर , कल के लिए रखे हैं अरमान छिपा कर! सपनों को अपनी आंखों में ही सुला कर , कल के लिए रखे हैं अरमान छिपा कर!
किसी भी न रोक के न टोक के तब बनेगा हमरा देश स्वतंत्र और आत्मनिर्भर। किसी भी न रोक के न टोक के तब बनेगा हमरा देश स्वतंत्र और आत्मनिर्भर।